आशिक़ों के महबूब के पैरो की धुल हूँ,हाँ मैं एक लाल गुलाब का फूल हूँ।हैपी रोज़ डे
टूटा हुआ फूल खुशबू दे जाता हैं,
बिता हुआ पल यादें दे जाता हैं,
हर शख्स का अपना अंदाज होता हैं,
कोई जिंदगी में प्यार तो,
कोई प्यार में ज़िन्दगी दे जाता हैं।
हैपी रोज़ डे
तुम्हारी अदा का क्या जवाब दूँ,
तुम्हे क्या खूबसूरत सा उपहार दूँ,
कोई तुमसे प्यारा गुलाब होता तो लाते,
जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दू।
हैपी रोज़ डे
गुलाब की खूबसूरती भी फिकी सी लगती हैं,जब तेरे चेहरे पर मुस्कान खिल उठती हैं,यूँ ही मुस्कुराते रहना मेरे प्यार तू,तेरी खुशियों से मेरी साँसे जी उठती हैं।हैपी रोज़ डे
गुलाब लाये है तेरे दीदार के लिए,
पर वो भी मुरझा गया तेरे नूर के आगे,
तू ऐसा खूबसूरत हिरा हैं,
की कोहिनूर भी सोचे तुझे पाने के लिए।
हैपी रोज़ डे