भारतीय ध्वज: एक सम्पूर्ण देश की गरिमा और मानवीय मूल्यों का प्रतीक
अशोक चक्र में 24 तिलिया:भारतीय ध्वज में अशोक चक्र में 24 तिलियाँ होनी आवश्यक हैं।
तिरंगा कटिया फट जाए तो नष्टीकरण: तिरंगे कटिया फट जाने पर उसे एकांत में नष्ट किया जाना चाहिए, ताकि उसका सम्मान बना रहे।
तिरंगे की जमीन नहीं होनी चाहिए:तिरंगे को किसी भी प्रकार से जमीन पर नहीं लगाना चाहिए, ताकि उसका मान बना रहे।
आयताकार झंडा और अनुपात:झंडा आयताकार होना चाहिए और उसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होना चाहिए।
झंडे का स्थान:तिरंगे के बगल में किसी झंडे को लगाने पर उसे तिरंगे से नीचे होना चाहिए, ताकि तिरंगे का सम्मान बना रहे।
ध्वजारोहण के समय की दिशा:मंच पर ध्वजारोहण हो रहा हो तो वक्ता सामने की ओर देखें और झंडा उसके दाहिनी तरफ होना चाहिए।
तिरंगे को बिगुल के साथ फहराना:तिरंगे को बिगुल के साथ फहराना चाहिए, जिससे उसका सम्मान और गर्व दर्शाया जा सके।
ध्वज संहिता का परिवर्तन:वर्ष 2002 में भारतीय ध्वज संहिता के प्रावधानों के पहले, तिरंगा को केवल 26 जनवरी और 15 अगस्त को फहराया जा सकता था।
नए नियम के तहत ध्वज फहराने का अधिकार:नए नियमों के तहत अब किसी भी व्यक्ति को किसी भी दिन तिरंगे को फहराने का अधिकार है, जो मर्यादित रूप से होना चाहिए।
सम्मान और गर्व का प्रतीक:भारतीय ध्वज एक महत्वपूर्ण प्रतीक है जो हमारे देश के सम्मान और गर्व को दर्शाता है, और इसकी यादें और महत्व को बनाए रखने के लिए उपरोक्त दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।