Ravidas Jayanti क्यों मनाया जाता हैं? | Know About Ravidas Jayanti in Hindi
आयिए जानते है संत रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti) के वारे में, रविदास जयंती क्यू मनाए जाती है? रविदास जयंती कैसे मनाई जाती है? रविदास जयंती कब मनाई जाती हैं?
हिंदी साहित्य का स्वर्णयुग भक्तिकाल को कहा जाता है। भक्तिकाल ही वह दौर था जब संत कवियों ने मानवीय मूल्यों की पक्षधरता की और जन जन में भक्ति का संचार किया। भक्तिकाल में बहुत सारे संत कवि हुए जैसे संत कबीर, संत रविदास। आइए आज हम संत रविदास जी के बारे में जानते है।
संत रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti in Hindi)
भारत भूमि पर बहुत साधु-संत पीर फकीर हुए जिन्होंने जन जन में भक्ती की संचार जगाई। उन्ही संतो में से एक संत रविदास भी थे। संत रविदास, संत कबीर के ही समकालीन थे और दोनो गुरूभाई माने जाते हैं।
संत रविदास बहुत ही सरल स्वाभाव के थे। संत रविदास एक महान संत थे जो दुनिया का आडंबर छोड़कर हृदय की पवित्रता पर बल देते थे। संत रविदास की कहावत “मन चंगा तो कठौती में गंगा” काफी प्रचलित है।
रविदास जयंती (Ravidas Jayanti) कब मनाई जाती है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, रविदास जयंती माघ महीने में पूर्णिमा के दिन पर मनाया जाता है। रविदास जयंती (Ravidas Jayanti) रैदास पंथ धर्म का बार्षिक केन्द्र है। ज्यादातर लोगो का मानना है की संत जन्म जी का जन्म 1388 में हुआ था जबकी कुछ विद्वान का मानना है की उनका जन्म 1398 ई में माघ के पूर्णिमा को हुआ था। संत रविदास के जन्म दिवस पर ही रविदास जयंती मनाई जाती है।
रविदास जयंती क्यूं मनाई जाती है? (Why Ravidas Jayanti is celebrated?)
संत रविदास जी ने जातिवाद और आध्यात्मिकता के खिलाफ थे और इन्हे जाति प्रथा के उन्मूलन में काफी प्रयास किया।
संत रविदास जी भक्ति का आंदोलन में काफी योगदान दिया था। रैदास पंथ पर चलने वाले लोगों मेके लिए रविदास जयंती का काफी महत्व है। रविदास जी को सभी लोग सम्मान करते है इसमे न केवल रविदास जी का अनुसरण करने वाले लोग, बल्कि अन्य लोग जो भी है।
संत रविदास ने अपने ज्ञान से समाज को संदेश दिया, व्यक्ति बड़ा या छोटा अपने जन्म से नहीं अपितु अपने कर्म से होता है। रैदास, धर्म के पथ पर चलने वाले महान पुरुष थे।
इनके विचारों, सिद्धान्तों को सदैव स्वयं में जीवित रखने के लिए और उनके जन्म दिवस को उत्सव के रूप में मनाने हेतु हर वर्ष संत रविदास जयंती मनाया जाता है।
संत रविदास जयंती कैसे मनाते है? रविदास जयंती के दिन लोग क्या करते है?
संत रविदास जी की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती हैं। इस दिन अमृतवाणी गुरु रविदास जी को पढ़ी जाती है। रैदास पंथ के लोगो द्वारा संत रविदास की चित्र के था नगर संकीर्तन जुलूस निकाला जाता है। इस दिन श्रद्धालु नदी में पवित्र स्नान करते है तत्पश्चात उनकी छवि पूजा करते हैं।
फिर, श्रद्धालु अपने जीवन से जुड़ी महान घटनाओं और चमत्कारों को याद करके अपने गुरु रविदास जी से प्रेरणा लेते हैं। प्रत्येक वर्ष उनके जन्म स्थान गोवर्धनपुर, वाराणसी में एक भव्य उत्सव का आयोजन होता है। रविदास जयंतीके दिन भक्त उनके जन्म स्थान पर जाते हैं और रविदास जयंती पर उनका जन्मदिन मनाते हैं।
संत रविदास जयंती उनके विचारों का सदैव स्मरण कराती है व उनके बताए गए मानवता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित भी करती है।
जाती व्यवस्था पर रविदास जी के क्या विचार थे?
सतगुरु रविदास जाति विशेष के सम्मान का पुरजोर विरोध करते थे। उन्होंने मध्यकाल में ब्राह्मणवाद को चुनौती देते हुए अपनी रचना में समाज के संदेश देते हुए लिखा
“रैदास बाभन मत पूजिए जो होवे गुण हीन, पूजिए चरन चंडाल के जो गुन परवीन”
अर्थात केवल व्यक्ति के जन्म से ब्राह्मण होने पर उसकी पूजा नहीं करनी चाहिए, वह जन्म के आधार पर श्रेष्ठ नहीं होता। व्यक्ति का कर्म उसे पूजने योग्य बनाता है अतः ऐसे व्यक्ति की पूजा करनी चाहिए जो कर्मों से श्रेष्ठ हो।
संत रविदास जी के आध्यात्मिक विचार
रविदास जी का एक और कथन प्रचलित है।
मन चंगा तो कठौती में गंगा
एक बार की बात है गांव के सभी लोग गंगा स्नान के लिए जा रहे थे। तभी किसी ने संत रविदास से कहा तुम क्यों नहीं चल रहे! तुम भी चलो। इस पर संत रविदास ने उनसे को कहा, मुझे कुछ जूते बनाने हैं मैं स्नान के लिए चला भी गया तो भी मेरा सारा ध्यान यहीं लगा रहेगा। इससे स्नान के बाद भी मुझे पुण्य की प्राप्ति नहीं होगी। मेरा मन साफ है तो इस पात्र (बरतन) के पानी में ही मेरी गंगा है। तब से “मन चंगा तो कठौती में गंगा” शब्द विश्व में जाना जाने लगा।
संत रविदास एक ऐसे समाज की कल्पना करते थे, जहां कोई भेदभाव, ऊंच-नीच ना हो। एक बार की बात है एक ब्राह्मण गंगा स्नान के लिए जा रहा थे । संत रविदास ने उन्हें एक मुद्रा दी और कहां कि इसे मेरी ओर से गंगा जी में अर्पण कर देना। जब ब्राह्मण गंगा जी में स्नान करके मुद्रा को गंगा में अर्पण करने लगे तो गंगा जी ने उनके हाथ से मुद्रा ले ली और उन्हे सोने का कंगन दे दिया।
ब्राह्मण कंगन लेकर नगर के राजा से मिलने चला गए, फिर उन्होने सोचा क्यों न मैं यह कंगन राजा को दे दू ,जिससे राजा प्रसन्न हो जाएंगे। ब्राह्मण ने वह कंगन राजा को दे दिया और राजा ने उसके बदले में उन्हे बहुत सारा धन दिया।
राजा ने वह कंगन अपनी रानी को भेंट कर दिया, रानी को वह कंगन बहुत ही पसन्द आया और फिर क्या रानी ने कहा यह एक ही कंगन है, मुझे उसके जैसा दूसरा कंगन भी चाहिए।
राजा ने पूरे नगर में सूचना भिजवा दी की उस ब्राह्मण को ढूंढा जाए और उससे कहा जाए की ऐसा दूसरा कंगन लाकर दे और यदि वह ऐसा दूसरा कंगन नहीं लाएगा तो वह दंड का पात्र होगा।
यह सुनकर ब्राह्मण डर गया और वह रविदास जी के पास गया, उसने जाकर पूरी घटना बताई तो रविदास जी ने कहा तुम्हें कंगन मिला तुमने मुझे बिना बताए राजा को दे दिया। यदि कंगन तुम भी रख लेते तो मैं नाराज नहीं होता, और न ही अब तुमसे नाराज हूं और रही दूसरे कंगन की बात तो मैं गंगा मैया से प्रार्थना करता हूं कि इस ब्राह्मण का मान-सम्मान आपके हाथ में है इसकी लाज रख लो।
इसके पश्चात संत रविदास जी ने कठौती उठाई और गंगा मैया का आह्वान कर अपनी कठौती से जल छिड़का तब गंगा मैया प्रकट हुई और उनके आग्रह पर गंगा मैया एक कड़ा ब्राह्मण को दे दिया। ब्राह्मण वह दुसरा कंगन राजा को भेंट कर दिए। इतने महान संत थे रविदास।
संत रविदास जी की बायोग्राफी
संत रविदास का जन्म बनारस के समीप बसे गोवर्धनपुर गांव में हुआ। इनका जन्म 1388 में माघ में पूर्णिमा को हुआ था जबकी कुछ विद्वान का मानना है की उनका जन्म 1398 ई में माघ के पूर्णिमा को हुआ था। इनके माता का नाम कर्म देवी और पिता का नाम संतोष दास था। इनका जन्म चुकी रविवार के दिन हुआ इस लिए इनका नाम रविदास रखा गया।इन्होंने मीरा बाई समेत राजा पीपा, राजा नागरमल को ज्ञान का मार्ग दिखाया। इनकी ख्याति से प्रभावति हो कर, सिकन्दर लोदी ने इन्हें आमंत्रण भेज बुलाया था।
नाम | रविदास |
पिता का नाम | संतोष दास |
माता का नाम | कर्मा देवी |
जन्म | 1398 ई |
जन्म स्थान | गोवर्धनपुर, बनारस, U.P. |
पेशा | संत |
समकालिक संत | कबीर |
FAQs
Qus: संत रविदास जी के पिता और माता का क्या नाम था?
And: संत रविदास जी के माता का नाम कर्मा देवी तथा पिता का नाम संतोष दास था।
Qus: रविदास जी का नाम रविदास कैसे रखा गया?
Ans: संत रविदास के जन्म के दिन रविवार था, इसलिए उनका नाम रविदास रखा गया।
Qus: रविदास जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
Ans: रविदास जी का जन्म माघ के पूर्णिमा को मानते है ओर इनका जन्म गोवर्धनपुर में हुआ था।
Qus: रविदास जयंती कब मनाई जाती है?
Ans: हिंदू पंचांग के अनुसार, रविदास जयंती (Ravidas Jayanti) माघ महीने में पूर्णिमा के दिन पर मनाया जाता है।
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