मकर संक्रांति को खिचड़ी खाने का क्या महत्व है? | Know About Makar Sankranti in Hindi
अगर आपके भी मन में मकर संक्रांति 2022 (Makar Sankranti) से जुड़े कुछ ऐसे प्रश्न है जिनका जवाब आप जानना चाहते है जैसे मकर संक्रांति को पतंग क्यू उड़ाते है? मकर संक्रांति को खिचड़ी खाने का क्या महत्व है? मकर संक्रांति को खिचड़ी क्यू खाया जाता है? मकर संक्रांति को खिचड़ी क्यू कहते है? तो अब आपके हर प्रश्नो का जवाब मिलेगा हमारे इस यूनिक ज्ञानी (Unique Gyanee) वेबसाइट पर और आज आप अपने सभी प्रश्नो के जवाब बहुत ही आसान भाषा में जानने वाले है तो चलिए विस्तार से जानते है मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के बारे में।
हिन्दू धर्म में साल का पहला पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से शुरू होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते है और इसी लिए इन दिन को मकर संक्रांति के नाम से जानते है। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन स्नान और दान का काफी महत्व होता है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करते है और उसके पश्चात गुड़, घी, तिल, नमक, चावल और उड़द की दाल का दान करते है। इस दिन घरों में उड़द की दाल की खिचड़ी बनाई जाती है इस लिए कई राज्य ने यह त्योहार खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। लोगो का मनना है की इस दिन खिचड़ी खाने, खिलाने और स्नान दान करने से भगवान सूर्य देव की कृपा बनी रहती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मकर संक्रांति का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इस दिन भगवान सूर्यदेव ने धनु राशि को छोड़ा था और मकर राशि में अपना प्रवेश किया था।
यह त्योहार पूरे भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। जैसे कर्नाटक में मकर संक्रमण, तमिलनाडू में पोंगल, केरल तथा आंध्रप्रदेश में संक्रान्ति, बिहार तथा उत्तरप्रदेश में खिचड़ी तथा मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। वही हरियाणा में माघी, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में ताइ पोंगल, कश्मीर घाटी में शिशुर सेंक्रात आदि नामो से मनाया जाता है। इस दिन विश्व प्रसिद्ध सर्वश्रेष्ठ कुंभ का मेला मनाया जाता है। प्रत्येक पवित्र नदी वाले स्थानों पर मेले का आयोजन किया जाता है।
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मकर संक्रांति (Makar Sakranti) के दिन सबसे अधिक चावल और खिचड़ी लोकप्रिय है। यह कई जगह खिचड़ी का पर्व के नाम से भी जाने जाता हैं। बहुत से लोग खिचड़ी को गुड़ देसी घी के साथ भी खाना पसंद करते हैं। इस दिन घरों में पिंकी मिटायेंगे जैसे की तिल के लड्डू, तिल से बने खाद्य पदार्थ भी बनाए जाते हैं और अपने रिश्तेदारों दोस्तों सगे संबंधियों के साथ बांटे जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन बहुत से लोग बाहर घूमना भी पसंद करते हैं। इस दिन लोग अपने घरों से बाहर निकलकर मंदिर वादी में घूमना भी पसंद करते हैं। इस दिन कहा जाता है कि यदि सुबह-सुबह कोई व्यक्ति पवित्र नदियों में नहाकर भगवान की पूजा आराधना करता है तो भगवान उसे प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद उसे दे देते हैं। आइए जानते है की मकर संक्रांति का धार्मिक महत्त्व क्या है?
मकर संक्रांति को खिचड़ी खाने का धार्मिक महत्व क्या है? | Importance of Makar Sankranti
मकर संक्रांति को खिचड़ी बनाने और खाने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। इस दिन उड़द की दाल, चावल और हरी सब्जियों से बनी खिचड़ी खाने का प्रचलन है। माना जाता है की उड़द की दाल शनि देव का प्रतीक है। इस लिए इस दिन उड़द की दाल की खिचड़ी खाने का महत्व है। लोगो का मानना है की खिचड़ी खाने से सूर्य भगवान और शनि देव की कृपा बनी रहती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने का महत्व है। खिचड़ी में उपयोग होने वाले सभी पदार्थो का कोई न कोई महत्व है जैसे की चावल को चंद्रमां का प्रतीक माना जाता है, तो वही उड़द को शनि का, हरी सब्जियों को शुक्र का, हल्दी को बृहस्पति का प्रतीक माना जाता है। खिचड़ी की गर्मी को सूर्य और मंगल से जोड़ कर देखा जाता है। इस दिन यह मान्यता है की खिचड़ी खाने से कुंडली में ग्रहों की स्तिथि मजबूत होती है। इस लिए इस दिन लोग खिचड़ी बनाते है और खाते है।
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मकर संक्रांति को खिचड़ी खाने का धार्मिक महत्व के साथ साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। जब कभी किसी किस तबीयत बिगड़ जाती है तो डॉक्टर हल्की भोजन करने की सलाह देते है और खिचड़ी एक हल्की भोजन के अलावा स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है, यह जल्दी पकने वाला भोजन भी है। खिचड़ी स्वास्थ के लिए लाभाकारी है।
मकर संक्रांति से जुड़ी कथाएं/ खिचड़ी खाने की परंपरा की शुरुआत
इसके अलावा मान्यता है की मकर सक्रांति (Makar Sankranti) को खिचड़ी खाने की परंपरा की शुरुआत बाबा गोरखनाथ ने की थी। लोगो का मानना है की खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियो को खिलजी से संघर्ष के कारण खाना बनाने का समय न मिल पाता था। जिसकी वजह से योगी भूखे रहते थे और इसी वजह से नाथ योगी दिन प्रतिदिन कमजोर हो रहे थे। इस हालत को देखते हुए बाबा गोरखनाथ ने योगियों को चावल, दाल और सब्जी को एक साथ बनाने की सलाह दी। खिचड़ी स्वादिष्ट के साथ साथ पौष्टिक भी होता है, साथ ही जल्दी पकने वाला भोजन है, जिससे योगियों की समस्याओं का समाधान भी हो गया और खिलजी के आतंक से मुक्ति भी मिल गई। बाबा गोरखनाथ ने इस भोजन का नाम खिचड़ी रख दिया। तभी से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और खाने की परम्पर चली आ रही है। इस लिए इस दिन गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के पास मेला लगता है और बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।
मकर संक्रांति को पतंग क्यू उड़ाया जाता है ? मकर संक्रांति को पतंग उड़ाने का क्या महत्त्व है ?
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को पतंग उड़ाने का धार्मिक तथा वैज्ञानिक महत्व दोनो है। मकर संक्रांति को पतंग उड़ाने का वैज्ञानिक महत्व यह है की इस दिन पतंग उड़ाने से शरीर को Vitamin D अत्यधिक मात्रा में मिलती है। क्युकी इस दिन सूर्य का उत्तरायण होने की वजह से सूर्य की किरणों में अत्यधिक मात्रा में Vitamin D पाया जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने से सूर्य की किरणें सीधे व्यक्ति के शरीर पर पड़ती हैं, जिससे कई शारीरिक समस्याओं से बचाव होता है।
मकर संक्रांति को पतंग उड़ाने का धार्मिक महत्व यह है की मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की शुरुआत प्रभु श्रीराम ने की थी। पुराणों के अनुसार, प्रभु श्रीराम की पतंग स्वर्गलोक में भगवान इंद्र के पास जा पहुंची थी। तभी से इस परंपरा को आज तक निभाया जाता है। साथ ही पतंग आजादी, खुशी का प्रतिक है। मकर संक्रांति का त्यौहार बहुत ही अनोखा त्यौहार होता है और यह खुशियों का त्योहार है।
मकर संक्रांति पर्व को और कितने अलग – अलग नामों से जाना जाता है
मकर संक्रांति का पर्व भारत के अलग – अलग राज्यों में अलग – अलग नामों से जाना जाता है, तो आइए जानते हैं किस राज्यों में मकर संक्रांति को किन नामों से जाना जाता है।
भारत के राज्य | मकर संक्रांति का अलग नाम |
---|---|
हिमांचल प्रदेश | माघ साजी |
कश्मीर | शिशुर सेंक्रात |
पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा | लोहड़ी |
उत्तराखंड | उत्तरायणी और घुघुतीया त्यार |
गुजरात | उत्तरायण पर्व |
कर्नाटक | मकर संक्रामण |
केरल | मकरविलक्कु |
मणिपुर | कंग्सुबि |
पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा | पौष संक्रांति |
मध्यप्रदेश, छत्तीसगण, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू, दिल्ली और अरुणांचल प्रदेश | मकर संक्रांति |
झारखंड | टुसू पर्व |
असम, मेघालय, मिजोरम | माघी बिहू |
ओडिशा | मकरचौला |
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना | भोगी पांडुगाई |
तमिलनाडु | पोंगल |
पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा | पौष संक्रांति |
FAQs
Qus: मकर संक्रान्ति का त्योहार कब मनाया जाता है? या मकर संक्रांति कब है?
Ans: 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
Qus: मकर संक्रांति का क्या महत्व होता है?
Ans: इस दिन स्नान और दान का काफी महत्व है।
Qus: मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?
Ans: इस दिन सूर्य भगवान धनु राशि से निकलकर मकर राशि में परवेश करते है। इस लिए इस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाते है।
Qus: बिहार में मकर सक्रांति को किस नाम से मनाते है?
Ans: बिहार में मकर सक्रांति को खिचड़ी तथा मकर सक्रांति के नाम से मनाया जाता है।
Qus: मकर सक्रांति का संस्कृत में क्या मतलब है?
Ans: मकरसंक्रांति का मतलब संज्ञा स्त्रीलिंग [संस्कृत मकर सङ्क्राति] वह समय जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।
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