महात्मा गांधी पर हिंदी में निबंध | Mahatma Gandhi essay in Hindi
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महात्मा गांधी की जीवनी
गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पुरा नाम मोहन दास करम चंद गाँधी है। इनके माता का नाम पुतली बाई तथा पिता का नाम करम चंद गांधी था।
गाँधी जी के पिता पोरबंदर के काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत के दिवान थे। महात्मा गांधी जी का बचपन साधारण था, वे अपनी माता के बहुत करीबी थे। गाँधी जी की माता बहुत धार्मिक थी जिसके कारण महात्मा गांधी जी भी बहुत धार्मिक थे।
मई 1883 में, गाँधी जी की शादी साढ़े 13 वर्ष की उम्र में 14 वर्ष की कस्तूरबा नाम के लड़की के साथ हुआ था। यह विवाह उनके माता पिता द्वारा तय किया गया व्यवस्थित बाल विवाह था जो उस समय उस इलाके में प्रचालित था। 1885 में जब गाँधी जी 15 वर्ष के थे तब इनकी पहली संतान ने जन्म लिया। लेकिन वह कुछ समय तक ही जीवित रह सका। इसी बीच इनके पिता जी की भी मृत्यु हो गई।
मोहनदास और कस्तूरबा गांधी के चार और संतान हुई जो की सभी पुत्र थे। 1888 में हरीलाल गांधी, 1892 में मणिलाल गांधी, 1897 में राम दास गांधी, 1900 में देवदास गांधी का जन्म हुआ।
महात्मा गांधी की शिक्षा (Education of Mahatma Gandhi)
महात्मा गांधी ने पोरबंदर से मिडिल और राजकोट से हाई स्कूल की परिक्षा पास किया। जनवरी 1888 में उन्होंने भावनगर के सामलदास आर्टस कॉलेज में दाखिला लिया। उस समय में यह कॉलेज उच्च शिक्षा प्राप्त कराने वाली डिग्री देने वाला एकमात्र संस्थान था लेकिन फिर उन्होंने कॉलेज ड्राप-आउट कर दिया क्यू की इनका परिवार इन्हे बैरिस्टर की पढाई कराना चाहता था।
4 सितंबर 1888 को गांधी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और फिर वहाँ वे 1888 से 1891 तक UCL Faculty of laws से शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वेबैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए।
महात्मा गांधी का व्यवसाय
1893 में एक भारतीय फर्म से नेटाल सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका में जो उन दिनों ब्रिटिश साम्राज्य का भाग होता था एक वर्ष पर वकालत का करोबार स्वीकार कर लिया। वे एक राजनीतिज्ञ, पत्रकार, दार्शनिक, लेखक, क्रांतिकारी तथा आध्यात्मिक राजनेता थे।
महात्मा गांधी का दक्षिण अफ्रीका यात्रा (Mahatma Gandhi’s visit to South Africa)
1893 में गांधी जी वकालत करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। 1895 में दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी को भेदभाव का सामना करना पड़ा। आरंभ में उन्हें प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बावजूद उन्हें तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने को कहा गया। लेकिन गाँधी जी द्वारा इनकार किए जाने पर ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था।
इसी प्रकार से और भी बार गांधी जी को भेदभाव का सामना करना पड़ा इस तरह की बहुत सी घटनाओं में से एक यह भी थी। जिसमे अदालत के न्यायाधीश ने उन्हें पगड़ी उतारने का आदेश दिया था उसे उन्होंने नहीं माना।
ये सारी घटनाएँ गांधी के जीवन में एक मोड बन गई। 1906 में दक्षिण अफ्रीका के जूलू युद्ध में गाँधी जी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1915 में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए थे।
महात्मा गांधी जी के प्रमुख आंदोलन (List of Major Movements of Mahatma Gandhi)
आंदोलन का नाम | साल |
चंपारण आंदोलन | 1917 |
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन | 1918 |
खेड़ा आंदोलन | 1918 |
रॉलेट एक्ट का विरोध | 1919 |
खिलाफत आंदोलन | 1920 |
असहयोग आंदोलन | 1920 |
सविनय अवज्ञा आंदोलन / दांडी मार्च | 1930 |
दलित आंदोलन | 1933 |
भारत छोड़ो आंदोलन | 1942 |
महात्मा गांधी जी के प्रमुख नारे
- करो या मरो
- भारत छोड़ो
महात्मा गांधी के प्रसिद्ध कथन
- “बनें वह बदलाव जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”
- “आंख के लिए आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”
- “सत्य ही ईश्वर है।”
- “अहिंसा ही सर्वोच्च धर्म है।”
- “स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे किसी भी कीमत पर प्राप्त करूँगा।”
महात्मा गांधी जी को कौन कौन सी प्रमुख उपाधि दी गईं
महात्मा – पहली बार 1915 में मोहन दास करम चंद गांधी जी को राजवैद्य जीवराम कालिदास ने महात्मा कहकर संबोधित किया था। लेकिन कई विद्वानो का मत है कि सबसे पहले स्वामी श्रद्धानंद और गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर ने 1915 में गांधी जी को महात्मा कहकर संबोधित किया था।
राष्ट्रपिता – सबसे पहले नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने 4 जून 1944 को सिंगापुर के रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।
बापू – जब महात्मा गांधी जी चंपारण सत्याग्रह करने के लिए बिहार के चंपारण में गए थे तो वहां के एक क्रांतिकारी किसान राज कुमार शुक्ल जी ने महात्मा गांधी जी को 1917 में बापू कहकर संबोधित किया था।
महात्मा गांधी जी का संछिप्त परिचय
नाम | मोहन दास करम चंद गाँधी (महात्मा गांधी) |
पिता का नाम | करमचंद गांधी |
माता का नाम | पुतलीबाई |
पत्नी का नाम | कस्तूरबा गाँधी |
बच्चो का नाम | हरिलाल मोहनदास गाँधी,मणिलाल गाँधी,रामदास गाँधी, देवदास गाँधी |
जन्म | 2 अक्टूबर 1869 |
जन्म स्थान | पोरबंदर, गुजरात |
मृत्यु | 30 जनवरी 1948 |
मृत्यु का कारण | मानव हत्या (बैलिस्टिक आघात) |
जातीयता | गुजराती |
नागरिकता | ब्रिटिश राज,भारतीय अधिराज्य |
शिक्षा | अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ,बैरिस्टर,पत्रकार,दार्शनिक, निबंधकार,संस्मरण लेखक,क्रांतिकारी, लेखक |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
धार्मिक मान्यता | हिन्दू धर्म |
महात्मा गांधी जी की हत्या
30 जनवरी 1948 को दिल्ली स्थित बिडला भवन में महात्मा गांधी जी संध्याकालिन प्रर्थना के लिए जा रहें थे तभी नाथूराम गोडसे उनके पैर छूने के बहाने उनके सामने आए और उन पर बैरेट पिस्तौल से तीन गोलियां दाग दी और महात्मा गांधी जी हे! राम कहकर शहीद हो गए। यह दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
भारत में प्रति वर्ष 2 अक्टूबर (2 October) को गांधी जयन्ती के रूप और विश्व में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
FAQs
महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे। वह असत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था।
महात्मा गांधी की मृत्यु 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था। वह पोरबंदर के दीवान थे।
महात्मा गांधी की माता का नाम पुतलीबाई गांधी था। वह एक धर्मपरायण महिला थीं।
महात्मा गांधी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं।
महात्मा गांधी के चार बच्चे थे – हरीलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी।
महात्मा गांधी की शिक्षा पोरबंदर, राजकोट और भावनगर में हुई। उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की।
महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के नागरिक अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने असत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों का इस्तेमाल करके भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए।
महात्मा गांधी ने भारत में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। उन्होंने असत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों का इस्तेमाल करके भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने में मदद की।
महात्मा गांधी को महात्मा, राष्ट्रपिता और बापू जैसी उपाधियों से सम्मानित किया गया था।
महात्मा गांधी को महात्मा कहा जाता है क्योंकि वह एक महान आत्मा थे। वह एक महान विचारक, एक महान नेता और एक महान इंसान थे। वह अपने सिद्धांतों पर दृढ़ विश्वास रखते थे
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