Israel Palestine War : इजराइल-फ़लस्तीन के बीच Al-Aqsa Mosque को लेकर क्या विवाद है?
यरुशलम की पवित्रता का संघर्ष: Matter of Al-Aqsa Mosque
यरुशलम, जो इजराइल और फ़िलिस्तीन के लिए एक महत्वपूर्ण शहर है, उसमें एक दरमियानी और लंबे समय से चल रहे विवाद के केंद्र में है। इस विवाद की कहानी उस पावन स्थल Al-Aqsa Mosque के चारों ओर घूमती है, जिसकी पवित्रता को लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक विरोध का सामना किया जा रहा है।
आल-अक्सा मस्जिद: An Islamic establishment or more?
Al-Aqsa Mosque, इस्लाम धर्म के अनुसार मक्का और मदीना के बाद तीसरा सबसे पवित्र स्थल है। हालांकि, इजराइली धर्म के अनुसार, यहूदी इसे अपने धर्मिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि यह वह जगह है जहां भगवान ने इब्राहीम को अपने बेटे इस्हाक को बलि देने के लिए कहा था।
1967 के युद्ध के बाद, इजराइल ने यरुशलम के पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया, जिसमें Al-Aqsa Mosque भी शामिल है। इजराइल इस परिसर पर नियंत्रण रखता है, जबकि यह मुस्लिम वक्फ को इसकी देखभाल करने की अनुमति देता है।
मस्जिद का संघर्ष: Religious and land conflicts
Towards dispute resolution
विवाद का मुख्य कारण है कि इजराइल यहूदियों को Al-Aqsa Mosque परिसर में प्रार्थना करने की अनुमति देना चाहता है, जबकि फ़लस्तीनियों का मानना है कि यहूदियों को इस परिसर में प्रार्थना करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस संघर्ष के बजाय, वे मानते हैं कि इस परिसर को केवल मुस्लिमों के लिए ही छोड़ दिया जाना चाहिए।
मस्जिद के संघर्ष: विवाद समाधान की ओर
विवाद को समाधान की दिशा में बढ़ाने के लिए कुछ सुझाव हैं:
संविधानिक समाधान:
एक संविधानिक समिति की स्थापना करनी चाहिए जो धार्मिक और भूमि संघर्षों को न्यायिक तरीके से सुलझाने के लिए समर्थ हो।
अंतरराष्ट्रीय संविधानिक मार्गदर्शन:
अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समाधान में मदद करने के लिए अधिक संलग्न होना चाहिए।
मध्यस्थता की भूमिका:
एक तटस्थ पक्ष को मध्यस्थता के रूप में कार्य करने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है, जिससे न्यायिक निर्णय और समझौता संभव हो।
यह विवाद धार्मिक संवेदनशीलता और भूमि के अधिकार की उलझन में समाहित है, और इसका समाधान संविधानिक और अंतरराष्ट्रीय सहायता से ही संभव है।