गणेश चतुर्थी क्यू मनाते है? | Know About Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी क्यू मनाते है? | Know About Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी क्यू मनाते है? गणेश चतुर्थी पर्व कैसे मनाते है? गणेश चतुर्थी का त्योहार कैसे मनाया जाता है? गणेश जी की पूजा विधि क्या है? गणेश पूजा कैसे करे?
भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व माना जाता है। यह हिन्दुओं का एक मुख्य त्योहार है। गणेश चतुर्थी को गणेश उत्सव और विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। गणेश चतुर्थी का पर्व भारत के बिभिन्न भागो में बड़ी धूम धाम से मनाई जाती हैं।

गणेश चतुर्थी का पर्व क्यू मनाई जाती है?

हिंदू पुराणों के अनुसार भाद्रपद मास में शुल्क पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ। इसलिए हर साल भाद्रपद मास के चतुर्थी तिथी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है । इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश के सम्मान में यह त्योहार महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे कई राज्यों में बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हिंदओं का दस दिन तक चलने वाला त्यौहार होता है जिसमें वो भगवान गणेश के जन्म तौर पर मनाते हैं।

गणेश चतुर्थी का त्योहार कैसे मनाया जाता है?

त्योहार से लगभग एक महीने पहले गणेश चतुर्थी की तैयारी शुरू हो जाती है। यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है (भाद्रपद शुद चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक)। पहले दिन कई प्रमुख जगहों और घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पंडालों और घरों को फूलों से सजाया गया है। भगवान गणेश की पूजा की जाती है ।यह पूजा नौ दिनों तक की जाती है। आसपास के लोग भगवान गणेश की पूजा के लिए आते है। मंदिर बड़ी संख्या में भक्तों की यात्रा के गवाह हैं। नौ दिनों तक भजन कीर्तन किए जाते हैं।

अक्सर, परिवार के लोग त्योहार मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं। स्थानीय लोग पंडालों का आयोजन और व्यवस्था करते हैं, और दोस्तों और परिवार के साथ त्योहार मनाने के लिए भगवान गणेश की बड़ी मूर्तियां स्थापित करते हैं। समारोह के अंतिम दिन, नौ दिनों की पूजा के बाद भगवान गणेश शोभा यात्रा निकाली जाती है। मूर्ति, गानों और बाजो के साथ लोग सड़कों पर नृत्य और गायन के रूप में अपने उत्साह और खुशी का प्रदर्शन करते हैं। मूर्ति को अंत में नदी या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में भक्त अपनी खुशी का इजहार करते हैं और अपनी प्रार्थना करते हैं।

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भगवान गणेश किसके पुत्र है? भगवान गणेश कौन है?

गणेश जी भगवान शंकर और मां पार्वती के बेटे हैं। जिन्हें 108 नामों से जाना जाता है। सभी देवताओं में सबसे पहले गणेश की ही पूजा की जाती है। बिना गणेश पूजन के हर काम अधूरा माना जाता है।

भगवान गणेश के कितने नाम है और वह कौन कौन से है?

भगवान गणेश के 108 नाम कुछ इस प्रकार हैं:

  1. बालगणपति : सबसे प्रिय बालक
  2. भालचन्द्र : जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो
  3. बुद्धिनाथ : बुद्धि के भगवान
  4. धूम्रवर्ण : धुंए को उड़ाने वाले 
  5. एकाक्षर : एकल अक्षर
  6. एकदन्त : एक दांत वाले
  7. गजकर्ण : हाथी की तरह आंखों वाले
  8. गजानन : हाथी के मुख वाले भगवान
  9. गजवक्र : हाथी की सूंड वाले 
  10. गजवक्त्र :  हाथी की तरह मुंह है
  11. गणाध्यक्ष : सभी जनों के मालिक
  12. गणपति : सभी गणों के मालिक
  13. गौरीसुत : माता गौरी के बेटे 
  14. लम्बकर्ण : बड़े कान वाले देव
  15. लम्बोदर : बड़े पेट वाले 
  16. महाबल : अत्यधिक बलशाली  
  17. महागणपति : देवादिदेव
  18. महेश्वर : सारे ब्रह्मांड के भगवान
  19. मंगलमूर्ति : सभी शुभ कार्यों के देव
  20. मूषकवाहन : जिनका सारथी मूषक है
  21. निदीश्वरम : धन और निधि के दाता
  22. प्रथमेश्वर : सब के बीच प्रथम आने वाले 
  23. शूपकर्ण : बड़े कान वाले देव
  24. शुभम : सभी शुभ कार्यों के प्रभु
  25. सिद्धिदाता :  इच्छाओं और अवसरों के स्वामी
  26. सिद्दिविनायक : सफलता के स्वामी
  27. सुरेश्वरम : देवों के देव। 
  28. वक्रतुण्ड : घुमावदार सूंड वाले 
  29. अखूरथ : जिसका सारथी मूषक है
  30. अलम्पता : अनन्त देव। 
  31. अमित : अतुलनीय प्रभु
  32. अनन्तचिदरुपम : अनंत और व्यक्ति चेतना वाले 
  33. अवनीश : पूरे विश्व के प्रभु
  34. अविघ्न : बाधाएं हरने वाले। 
  35. भीम : विशाल
  36. भूपति : धरती के मालिक  
  37. भुवनपति : देवों के देव। 
  38. बुद्धिप्रिय : ज्ञान के दाता 
  39. बुद्धिविधाता : बुद्धि के मालिक
  40. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले
  41. देवादेव : सभी भगवान में सर्वोपरि 
  42. देवांतकनाशकारी : बुराइयों और असुरों के विनाशक
  43. देवव्रत : सबकी तपस्या स्वीकार करने वाले
  44. देवेन्द्राशिक : सभी देवताओं की रक्षा करने वाले
  45. धार्मिक : दान देने वाले 
  46. दूर्जा : अपराजित देव
  47. द्वैमातुर : दो माताओं वाले
  48. एकदंष्ट्र : एक दांत वाले
  49. ईशानपुत्र : भगवान शिव के बेटे
  50. गदाधर : जिनका हथियार गदा है
  51. गणाध्यक्षिण : सभी पिंडों के नेता
  52. गुणिन : सभी गुणों के ज्ञानी
  53. हरिद्र : स्वर्ण के रंग वाले
  54. हेरम्ब : मां का प्रिय पुत्र
  55. कपिल : पीले भूरे रंग वाले 
  56. कवीश : कवियों के स्वामी
  57. कीर्ति : यश के स्वामी
  58. कृपाकर : कृपा करने वाले
  59. कृष्णपिंगाश : पीली भूरी आंख वाले
  60. क्षेमंकरी : माफी प्रदान करने वाला
  61. क्षिप्रा : आराधना के योग्य
  62. मनोमय : दिल जीतने वाले
  63. मृत्युंजय : मौत को हराने वाले
  64. मूढ़ाकरम : जिनमें खुशी का वास होता है
  65. मुक्तिदायी : शाश्वत आनंद के दाता
  66. नादप्रतिष्ठित : जिन्हें संगीत से प्यार हो
  67. नमस्थेतु : सभी बुराइयों पर विजय प्राप्त करने वाले
  68. नन्दन : भगवान शिव के पुत्र  
  69. सिद्धांथ : सफलता और उपलब्धियों के गुरु
  70. पीताम्बर : पीले वस्त्र धारण करने वाले 
  71. प्रमोद : आनंद  
  72. पुरुष : अद्भुत व्यक्तित्व
  73. रक्त : लाल रंग के शरीर वाले 
  74. रुद्रप्रिय : भगवान शिव के चहेते
  75. सर्वदेवात्मन : सभी स्वर्गीय प्रसाद के स्वीकर्ता  
  76. सर्वसिद्धांत : कौशल और बुद्धि के दाता
  77. सर्वात्मन : ब्रह्मांड की रक्षा करने वाले 
  78. ओमकार : ओम के आकार वाले 
  79. शशिवर्णम : जिनका रंग चंद्रमा को भाता हो
  80. शुभगुणकानन : जो सभी गुणों के गुरु हैं
  81. श्वेता : जो सफेद रंग के रूप में शुद्ध हैं 
  82. सिद्धिप्रिय : इच्छापूर्ति वाले
  83. स्कन्दपूर्वज : भगवान कार्तिकेय के भाई
  84. सुमुख : शुभ मुख वाले
  85. स्वरूप : सौंदर्य के प्रेमी
  86. तरुण : जिनकी कोई आयु न हो
  87. उद्दण्ड : शरारती
  88. उमापुत्र : पार्वती के पुत्र 
  89. वरगणपति : अवसरों के स्वामी
  90. वरप्रद : इच्छाओं और अवसरों के अनुदाता
  91. वरदविनायक : सफलता के स्वामी
  92. वीरगणपति : वीर प्रभु
  93. विद्यावारिधि : बुद्धि के देव
  94. विघ्नहर : बाधाओं को दूर करने वाले
  95. विघ्नहत्र्ता : विघ्न हरने वाले 
  96. विघ्नविनाशन : बाधाओं का अंत करने वाले
  97. विघ्नराज : सभी बाधाओं के मालिक
  98. विघ्नराजेन्द्र : सभी बाधाओं के भगवान
  99. विघ्नविनाशाय : बाधाओं का नाश करने वाले 
  100. विघ्नेश्वर :  बाधाओं के हरने वाले भगवान
  101. विकट : अत्यंत विशाल
  102. विनायक : सब के भगवान
  103. विश्वमुख : ब्रह्मांड के गुरु
  104. विश्वराजा : संसार के स्वामी
  105. यज्ञकाय : सभी बलि को स्वीकार करने वाले 
  106. यशस्कर : प्रसिद्धि और भाग्य के स्वामी
  107. यशस्विन : सबसे प्यारे और लोकप्रिय देव
  108.  योगाधिप : ध्यान के प्रभु

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गणेश जी का जन्म कैसे हुआ?

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गणेश जी के जन्म से जुड़ी कई कहानियां हैं।

तो आइए हम सब जाने ऐसी ही दो कहानियों के बारे में। कुछ लोगो का मानना है की देवी पार्वती ने अपने शरीर से उतारी गई मैल से भगवान गणेश को बनाया था। जब वो नहाने गई तो गणेश जी को अपनी रक्षा के लिए बाहर बिठा दिया। शिव भगवान जो देवी पार्वती के पति हैं जब घर लौटे तो अपने पिता से अनजान गणेश जी ने उन्हें रोकने की कोशिश की जिससे शिव जी को क्रोध आ गया और उन्होने गणेश जी का सिर काट दिया।

जब देवी पार्वती को इस सब के बारे में पता चला तो वो शिव जी से रूष्ट हो गई जिस पर शिव ने उन्हें गणेश का जीवन वापस लाने का वादा कर कटे हुए धड़ पर हाथी का सिर लगा दिया और इस तरह फिर से गणेश जी को जीवन दान मिला। इसी कारण से इन्हें गजानन भी बोलते है।

लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि देवताओं के अनुरोध करने पर भगवान शिव और देवी पार्वती ने गणेश जी को बनाया था जिससे वो राक्षसों का वध कर सकें और यही कारण है कि उन्हें विघनकर्ता भी कहा जाता है।

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गणेश जी की पूजा कैसे की जाती है? गणेश जी की पूजा विधि क्या है? गणेश पूजा कैसे करे?

गणेश पूजन की आसान विधि :-

  • पूजन से पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर और स्नान के पश्चात अपने पास सारी सामग्री एकत्रित कर ले।
  • उसके बाद आसान पर पूर्व दिसा की ओर मुख कर के पूजा प्रारंभ करे।
  • सरलतम विधि से भगवान गणेश की पूजा करे। भगवान गणेश की पूजा मंत्रो से की जाती है पर जिन्हे मंत्र न आता हो, ओ उनके नाम मंत्रो से पूजा कर सकता है।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

  • भगवान गणेश को पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन चढ़ाए। भगवान गणेश को मोदक (लड्डू) बहुत ही प्रिय है इस लिए प्रसाद के रूप में देसी घी के लड्डू चढ़ाए।
  • पूजा के पश्चात सभी देवी-देवताओं का स्मरण करें और उनसे भूल बस अपराध के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
  • भगवान गणेश की आरती करे। सभी देवी देवता की जय जय कार लगाए।
  • भगवान गणेश की पूजा करने से आपके जीवन में सफलता मिलेगी।

गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजा कैसे की जाती है?

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) की पूजा गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करने से शुरू होती है। अलग अलग प्रकार व्यंजनों का भोग पकाया जाता है। मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है और फिर फूलों से सजाया जाता है। ज्योति जलाई जाती है और फिर आरती शुरू होती है। भजन, और मंत्रों का जाप किया जाता है। माना जाता है कि पूरी श्रद्धा के साथ मंत्रों का जाप करने से मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा होती है। इस अवधि के दौरान, गणेश जी अपने भक्तों के घर जाते हैं और अपने साथ समृद्धि और सौभाग्य लाते हैं। इसी कारण से इस दिन को बहुत शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है। गणपति पूजन से जीवन में बहुत सफलता मिलती है। इस प्रकार गणपति पूजा धूम धाम से मनाई जाती है।


FAQs

गणेश जी का जन्म कब हुआ?

हिंदू पुराण के अनुसार भाद्रपद मास में शुल्क पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ।

गणेश जी किस भगवान के पुत्र है?

देवी पार्वती और शंकर भगवान के।

गणेश चतुर्थी को और क्या कहा जाता है?

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) को गणेश उत्सव और विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है।

गणेश जी के भाई और बहन का क्या नाम है?

गणेश जी के भाई कार्तिकेय और बहन अशोक सुंदरी हैं।

गणेश का क्या अर्थ है?

गणेश का अर्थ है गणों का ईश और आदि का अर्थ होता है सबसे पुराना यानी सनातनी।


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