Basant Panchami क्यों मनाते है? | Why is Basant Panchami Celebrated?
यदि आपके मन में ऐसे सवाल आते है जैसे बसंत पंचमी क्यू मनाई जाती है? (Why is Basant Panchami Celebrated?) बसंत पंचमी का वैज्ञानिक आधार क्या है? बसंत पंचमी कब मनाई जाती है? सरस्वती पूजा कब मनाते है? तो आज आपके हर सवालों का जवाब आपको इस पोस्ट के माध्यम से मिलने वाला है तो चलिए जानते है कुछ बाते बसंत पंचमी पर्व के बारे में एकदम सरल शब्दों में।
हमारे देश में हर एक त्यौहार का अपना खास महत्त्व है। सभी त्योहारों के पीछे कोई न कोई कारण और उसका अपना महत्त्व भी है। हिंदुओ के प्रमुख त्योहारों में से एक बसन्त पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार है इसे सरस्वती पूजा, श्री पंचमी या ज्ञान पंचमी, के नाम से भी जानते है। हमारे देश में बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
बसंत पंचमी का त्योहार/ सरस्वती पूजा
बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार ये दिन बुद्धि और विद्या की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है। इस लिए इसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते है। इस त्यौहार में न तो ज्यादा ही गर्मी होती है और न ही ज्यादा ठंड होती है। बसंत पंचमी के दिन से शरद ऋतु की विदाई और बसंत ऋतु का प्रारंभ हो जाता है। बसंत ऋतु में पेड़ पौधों में नवजीवन का संचार होने लगता है, खेतो में फसल लहलहाने लगते है। इस समय मौसम काफी सुहाना होता है। यही वजह है कि बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा या मधुमास कहा जाता है। आइए जानते है की बसंत पंचमी के त्योहार से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं और बसंत पंचमी मनाने के पीछे का कारण क्या है।
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बसंत पंचमी का त्योहार क्यू मनाया जाता है? बसंत पंचमी से जुड़ी ऐतिहासिक कथाएं क्या है? बसंत पंचमी की शुरुआत कैसे हुई?
हिंदु कथाओं में एक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन वसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी। हिंदू धर्म में बसंत पंचमी को शुभ दिन माना गया है , नए कार्य की शुरुआत के लिए यह दिन बहुत ही शुभ होता है।
बसंत पंचमी का त्यौहार कैसे मनाते है?
बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार पूरे देश में हर्षों उलाश के साथ मनाया जाता है। विद्यार्थियों में इस त्याहौर को लेकर कुछ अलग अंदाज़ देखने को मिलता है। विद्यालयों में इस दिन सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। जगह जगह मां सरस्वती की मिट्टी की मूर्ति पंडालों में स्थापित की जाती है। पंडालों को सजाया जाता है। छात्रों द्वारा मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। छात्र मां सरस्वती से ज्ञान की कामना करते है। इस दिन छात्र पुस्तकों की और कलाकार वाद्य यंत्रों की पूजा करते है।
इसी दिन होलिका दहन का जो स्थान होता है उसका पूजन किया जाता है और होलिका दहन के लिए कंडे, गोबर, और लकड़ी इक्कठे किए जाते है। इसी दिन से फागुन की गाने बजाने शुरू हो जाते है।
बसंत पंचमी के दिन लोग पीले कपड़े पहनते है। इतना ही नहीं, इस दिन पीले पकवान बनाना भी काफी अच्छा माना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहर्त के तौर पर जाना जाता है और यही कारण है कि नए काम की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है।
इस दिन बच्चे पतंग उड़ाते है और मां सरस्वती की पूजा आराधना करते है। इस प्रकार यह त्योहार मनाया जाता है।
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सरस्वती पूजन कैसे करे?
बसंत पंचमी पूजा विधि/ सरस्वती पूजा विधि
- सुबह सुबह स्नान करने के बाद मां सरस्वती की पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।
- अब मां सरस्वती की प्रतिमा रख कर पूजा शुरू करे।
- मां सरस्वती कि मूर्ति को पीले वस्त्र चढ़ाए।
- उसके बाद मां सरस्वती को रोली, हल्दी, चंदन, केसर, पीले फूल अर्पित करे।
- मां सरस्वती की सामने धूप अगरबत्ती जलाएं।
- अब मां सरस्वती की पास पूजा के स्थान पर पुस्तकों और वाद्य यंत्र को रखे।
- मां सरस्वती की वंदना करे। मां सरस्वती का ध्यान करे।
सरस्वती पूजन मंत्र
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
पूजा के अंत में मां सरस्वती की आरती करे और प्रसाद का वितरण करे।
FAQs
Qus: सरस्वती पूजा (बसंत पंचमी) किस दिन होती है?
Ans: सरस्वती पूजा माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
Qus: सरस्वती पूजा में क्या सामग्री लगता है?
Ans: सरस्वती पूजा में प्रयुक्त होने वाली सामग्री में पीला पुस्प, पीला फल, दही, मक्खन, गन्ना का रस, मधु, रोली, मावा, मिस्ठान, अदरक, शकर, नारियल, श्रीफल आदि है।
Qus: सरस्वती पूजा व्रत में क्या खाना चाहिए?
Ans: इस दिन पीले चावल या केशर का हलवा खाना शुभ माना जाता है।
Qus: सरस्वती पूजा के दिन पढ़ना चाहिए या नहीं?
Ans: सरस्वती पूजा के दिन बच्चों से ॐ लिखवाना चाहिए, माना जाता है की इस दिन बच्चों की शिक्षा का आरंभ करना शुभ होता है।
Qus: मां सरस्वती के पर्यायवाची शब्द क्या है?
Ans: मां सरस्वती को कई नामों से जाना जाता है जैसे की शारदा, वीणावादिनी, वीणापाणि, वाग्देवी, वागेश्वरी, भारती आदी।
Qus: मां सरस्वती किसकी पत्नी है?
Ans: शास्त्रों के अनुसार मां सरस्वती भगवान ब्रह्मा की पत्नि है।
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