आवारा गुब्बारा की कहानी (Aawara Gubbara – Story in Hindi)
Aawara Gubbara – Story in Hindi, Moral Story for Kids, यह कहानी एक आवारा गुब्बारे और एक पक्षी मैना के बीच की दोस्ती के बारे में है। गुब्बारा अकेला और दुखी होता है और वह एक और आवारा गुब्बारा ढूंढ़ने का प्रयास करता है। परंतु पक्षी मैना उसे समझाता है कि दोस्त बनाने के लिए आवारागर्दी की ज़रूरत नहीं होती। वे दोस्त बनते हैं और खुशी-गम साझा करते हैं। यह कहानी सच्चे दोस्ती और अपनी स्वाभाविकता में स्वीकार करने के महत्व को दर्शाती है।
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आवारा गुब्बारा (Aawara Gubbara Story in Hindi)
एक समय की बात है। एक छोटा सा गुब्बारा गुलमोहर के वृक्ष के पास खेल रहा था। यह गुब्बारा बहुत आवारा था। वह यहां से वहां उड़ता रहता था, जबकि उसके सभी मित्र गुब्बारे ठीक से उड़ जाते थे। लेकिन यह गुब्बारा धीरे-धीरे अकेला हो गया। उसके मित्र इसे अपनी टीम से निकाल दिया था क्योंकि यह हमेशा आवारा बना रहता था।
एक दिन, गुब्बारा को अपनी एक बहुत अच्छी दोस्त को मेंले मे ढूंढने की ख्वाहिश हुई।उसने सोचा, “अगर मैं एक और आवारा गुब्बारा ढूंढ सकता हूँ, तो हम दोस्ती करेंगे और एक साथ मस्ती करेंगे।” गुब्बारा अब बहुत मेहनत करने लगा। वह आसमान के
हर कोने में उड़ने लगा, लेकिन कोई और आवारा गुब्बारा नहीं मिला। उसकी आँखों में आंसू आने लगे।
गुलमोहर का एक पक्षी गुब्बारा के पास आया और पूछा, “तुम यहां क्या कर रहे हो?” गुब्बारा ने दुखी मन से कहा, मैं एक और आवारा गुब्बारा टूंढ़ रहा हूँ, जो मेरा दोस्त बन सके। लेकिन कहीं नहीं मिल रहा है।”
पक्षी उसे समझाने लगा, “दोस्त बनाने के लिए आवारागर्दी ज़रूरी नहीं होती। तुम मेरे साथ खेलो और मस्ती करो। हम एक दूसरे को जान सकते हैं और दोस्त बना सकते हैं।”
गुब्बारा ने अद्भुत अनुभव किया। उसने पक्षी के साथ उड़ना शुरू किया और वहां से वहीं पर रुका जहां पक्षी था। दोनों बहुत खुश थे। उन्होंने खेल-खिलौने बाँटे और मिलकर बहुत मज़े किए।
देर बाद, गुब्बारा ने पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” पक्षी मुस्काते हुए बोला, “मेरा नाम मैना है। आओ, हम दोस्त बनें और इस मधुमक्खी की कहानी सुनें!”
इस प्रकार, गुब्बारा और मैना दोनों अच्छे दोस्त बन गए। वे एक साथ खुशी-गम बाँटते थे और एक दूसरे की मदद करते थे। गुब्बारा को एक सच्चा दोस्त मिल गया, जो उसे स्वीकार करता था जैसा वह है।
इस कहानी का संदेश (Moral of Story in Hindi)
इस कहानी से हमें यह सबक सीखना चाहिए कि एक अच्छे दोस्त के लिए, हमें अपने आप को बदलने की ज़रूरत नहीं होती है। हमें ऐसे दोस्त चुनने चाहिए जो हमें हमारी स्वाभाविकता में स्वीकार करें और हमारे साथ खुश और मस्ती करें। सच्चे दोस्त हमेशा हमारे साथ होते हैं, चाहे हम आवारा क्यों न हों।
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