वेदांता के मालिक Anil Agrawal ने कर दिया बड़ा ऐलान अब इंडिया भी बनाएगा हर मशीन की जान…
भारत अब आधुनिक होता जा रहा है, चाहे कोरोना वैक्सीन की बात हो या चांद या मंगल ग्रह पर जाने की बात हो, इतना ही नहीं अब हम अंतरिक्ष में विदेशी सैटेलाइट भी छोड़ रहे हैं। ऐसे में हम हर मशीन की धड़कन कहे जाने वाले सेमीकंडक्टर को कैसे भूल सकते हैं. आपको बता दें कि भारत लगभग हर मशीन के लिए विदेशों से, खासकर ताइवान और चीन से सेमीकंडक्टर की मांग करता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ताइवान दुनिया में सबसे ज्यादा सेमीकंडक्टर बनाता है, जिसमें से 65% एडवांस्ड टेक सेमीकंडक्टर 90% ताइवान को ही निर्यात करता है।
इस एकतरफा बाजार पर चीन का गुस्सा बढ़ गया है क्योंकि ताइवान द्वारा सेमीकंडक्टर्स की शक्ति का परीक्षण किया जा रहा है और भविष्य में चीन विदेशी बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी करना चाहता है, परंतु चीन दुनिया के बाजार में अपनी चाल से जानी जाती है। वे अपने देश में उत्पादों की कॉपी बनाकर विदेशी कंपनियों के उत्पादों को सस्ते दामों पर बेचते हैं, जिससे कि मैं अपनी कंपनी को दूसरे देशों में ले जा रहा हूं। इस संदर्भ में, भारत पूरी दुनिया में आर्थिक दृढ़ता से उभर रहा है और विश्व देख रहा है कि वर्तमान में जब दुनिया के प्रमुख देश आर्थिक मुद्दों से जूझ रहे हैं, तो भारत आगे बढ़ रहा है। हमें भारत के उत्पादों पर विश्वास होना चाहिए, क्योंकि हमारे देश के उत्पाद अपनी गुणवत्ता में प्रमुख हैं।
सेमीकंडक्टर के परिप्रेक्ष्य में सरकार ने अपनी आगामी सामर्थ्य की दिशा में देखते हुए, शुक्रवार, 28 जुलाई को गुजरात के गांधी नगर में भारत सेमीकंडक्टर मिशन 2023 की शुरुआत कर दी है। मोदी जी ने बताया कि एक साल पहले दुनिया यह जानना चाहती थी कि भारत में निवेश क्यों करना चाहिए, और अब वे कहते हैं कि भारत में निवेश करना क्यों नहीं चाहिए। मोदी ने यह भी बताया कि विश्व को एक विश्वसनीय चिप आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता है। सेमीकंडक्टर डिज़ाइन के कोर्स की शुरुआत के लिए 300 संस्थानों से बातचीत की जा रही है। वेदांता के मालिक अनिल अग्रवाल ने बताया कि उनमें से 5 बिलियन डॉलर का निवेश करेंगे और भारत में बनी चिप्स दो साल में उपलब्ध हो जाएंगी। उन्होंने यह भी जाहिर किया कि उन्हें जापान, कोरिया, और अमेरिका में अच्छा प्रतिक्रिया मिला है। गुजरात सेमीकंडक्टर एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरकर आएगा और यह भारत में सिलिकॉन वैली निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है।
देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण की महत्वपूर्णता बहुत अधिक है, क्योंकि हर साल एक करोड़ 76 लाख रुपये के सेमीकंडक्टरों का आयात होता है, और साल 2025 तक यह आंकड़ा 7 लाख 50 हजार करोड़ तक पहुंच सकता है। सेमीकंडक्टर कंपनियों के आगमन से लोगों को रोजगार का भी अवसर प्राप्त होगा। भारत भी इस तकनीक का प्रयोग करने में आगे बढ़ेगा। हाल ही में, फॉक्सकॉन और ताइवान की कंपनी वेदांता के बीच सेमीकंडक्टर सौदा टूट गया, इसका एक कारण यह था कि फॉक्सकॉन और वेदांता सरकारी नियमों को पूरा करने में समन्वय नहीं कर सके। अब वीईडीएल 266-300 के बीच विस्तार करने में कठिनाई आ गई है, क्योंकि यह 300 के प्रति पूर्ण रूप से समर्थन करने वाले और इसके पहले लक्ष्य 342 को पार करते हुए है। दूसरा लक्ष्य बंदरगाह -260 से लेकर -444 तक जा सकता है, जैसा कि चार्ट दिखाता है।
हम स्टॉक में किसी भी buying – selling की सलाह नही देते कृपया अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।