लोहड़ी (Lohri Festival) क्यों मनाया जाता है? | Know About Lohri in Hindi

लोहड़ी (Lohri Festival) क्यों मनाया जाता है? | Know About Lohri in Hindi

जानें लोहड़ी (Lohri Festival) का पर्व क्या है और क्यों मनाया जाता है? पंजाब में लोहड़ी क्यू मनाते है? लोहरी कब और कैसे मनाई जाती है? पंजाब का प्रमुख त्योहार कौन सा है? लोहड़ी का त्योहार कैसे मनाए? लोहड़ी कौन सा त्यौहार है?
आइए जानते है इन सभी सवालों के जवाब सरल और संक्षेप शब्दों में।

पूरे विश्व में हर एक त्योहार बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। हर त्योहार किसी देश, धर्म या जाति की संस्कृति का चित्र पेश करते हैं। सभी त्योहारों में से एक लोहड़ी भी हमारे देश का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व सारे देश में बड़ी धूम – धाम से मनाया जाता है। यह पूरे उत्तर भारत विशेषकर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, और जम्मू में मनाया जाता है। आइए जानते है लोहड़ी पर्व के बारे में।

लोहड़ी का त्यौहार

लोहरी का त्योहार पंजाब का एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। पंजाब में हर एक त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। परंतु लोहरी का त्योहार का पंजाब में विषेश महत्त्व है और पंजाब में विशेष ढंग से मनाया जाता है। हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। लोहड़ी से जुड़ी कई पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं प्रचलित है । यह समय फसल कटाई और बुआई का होता है, इस लिए किसान इसे नए साल की आर्थिक शुरुआत के तौर पर मनाते है। आइए जानते है की लोहड़ी का त्योहार कब और कैसे मनाया जाता है।

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लोहड़ी का त्यौहार कब मनाया जाता है?

लोहरी का पर्व माघ महीने की मकर सक्रांति (माघी) से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्योहार 13 जनवरी को, विशेष कर पंजाब में बड़े धूम धाम के साथ मनाया जाता है। खिचड़ी के एक दिन पहले मनाया जाने वाला यह पर्व पंजाब में काफ़ी लोकप्रिय है। पंजाब में इस त्यौहार को बड़ी धूम धाम और ढोल नगाड़ों के साथ मनाया जाता है। इस दिन किसान नए साल की आर्थिक शुरआत के तौर पर मनाते है। आइए विस्तार से जानते है की लोहरी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है।

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लोहड़ी का त्योहार कैसे मनाया जाता है?

लोहड़ी का त्योहार (Lohri Festival) का कुछ खास महत्त्व है। इसको मानने का अंदाज बड़ा ही निराला है। यह पर्व बड़ी धूम धाम के साथ खुले आसमान के नीचे मकर संक्रांति या खिचड़ी के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन घर से बिदा हुई बहन, बेटियों को बुलाया जाता है उनका आदर सत्कार किया जाता है और गलतियों की क्षमा मांगी जाती है। श्रृंगार के समान दिए जाते है।
इस समय सर्दी का मौसम होता है। आसपास के सभी लोग रात को खुले स्थान पर इकठ्ठे होते हैं और गोल दायरे में बैठकर इसे मनाते हैं। बीच में लकड़ियों और गोबर के उपलों का ढेर कर लिया जाता है, फिर ढेर में आग लगा दी जाती है।

आग के ढेर पर अनेक वस्तुए डाली जाती हैं, उनमें तिल, गुड़ और रेवड़ियाँ प्रधान होती हैं। कुछ लोग गायत्री मन्त्र पढ़कर आहुतियाँ देते हैं। फिर अग्नि की परिक्रमा करते हैं। सब लोग मिलकर रेवड़ियाँ खाते हैं और ढोल ढमाका होता हैं , भागड़े किए जाते हैं। जिनके घर बच्चे ने जन्म लिया होता है या जिनके घर नव विवाहित जोड़ा हो,उन्हें लोहड़ी की बधाई और तोहफे दिए जाते है। उस घर लोहड़ी बड़े उत्साह के साथ धूम धाम से मनाया जाता है।
लोग मिठाई खाते है और एक दूसरे के घर जा कर मिठाईयां बाटते है। और ऐसे इस त्यौहार की समाप्ति मकर संक्रांति से होती है। यह त्योहार ख़ुशी का त्योहार होता है। लोहड़ी पर्व को भगवान शंकर से भी जोड़ कर देखा जाता है। इससे जुड़ी कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं है आइए जानते है की भगवान शंकर से इस त्यौहार का क्या संबंध है।

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लोहड़ी पर्व (Lohri Festival) का भगवान श्री शंकर की पत्नी से क्या संबंध है?

लोहड़ी पर्व से जुड़ी ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं। आइए जानते है लोहड़ी पर्व से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं।

लोहड़ी का त्यौहार भगवान शंकर की पत्नी सती के त्याग के रूप में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि प्रजापति दक्ष ने शंकर जी का तिरस्कार किया था और उन्हें यज्ञ में शामिल होने का नेवता न दिया था जिससे भगवान शंकर की पत्नी सती अपने पिता से नाराज़ होकर यज्ञ की आग में कूद पड़ी और भस्म हो गई। शंकर जी को क्रोध आया। प्रजापति ने क्षमा मांग ली। तब शंकर जी ने क्षमा कर दिया दक्ष ने शंकर जी को विदा करते समय बहुत कुछ भेंट किया। तभी से इसी दिन को प्रतिवर्ष पश्चाताप के रूप में मनाया जाता है। और इस लिए इस दिन घर की बहु बेटियो को बुलाया जाता है उनका आदर सत्कार और सम्मान किया जाता है।

लोहड़ी की ऐतिहासिक कथा – सुंदरी और मुंडारी की कथा या दुल्ला भट्टी की कथा

लोहरी के त्योहार (Lohri Festival) से जोड़ी एक ऐतिहासिक कथा भी है जिसे सुन्दरी और मुन्दरी की कथा या दुल्ला भट्टी की कथा के नाम से जानते है।

ऐसे सुनते आ रहे है की मुग़ल काल में अकबर के शासन काल में किसी ब्राह्मण की दो लड़कियाँ थीं जिनका नाम सुन्दरी और मुन्दरी था। उन दोनो का रिश्ता किन्हीं ब्राह्मण युवकों से कर दिया गया था। कोई मुग़ल शासक उनसे विवाह करना चाहता था। इस वजह से ब्राह्मण युवक डरे सहमे थे। उन्होंने उन लड़कीयों से विवाह करने से इनकार कर दिया। उस समय दुल्ला भट्टी नामक एक पंजाब का सरदार हुआ करता था। उन्होंने इसका विरोध किया और किसी एकान्त प्रदेश में पिता बनकर उन दोनों लड़कियों का विवाह उन्हीं नौजवान युवक ब्राह्मणों से किया और शगुन में शक्कर दी। इसी दुल्ला भट्टी को लोहड़ी के गीतों में गाया और याद किया जाता है।

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ऐसे ही जुड़ी एक लोहरी देवी की कथा है ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लोहड़ी देवी ने एक क्रूर दैत्य को जलाकर भस्म कर दिया था। उसकी याद में यह दिन मनाया जाता है। मनाने के अन्य कारण – लोहड़ी का सम्बन्ध कृषि से भी है। इस दिन किसान आग के पास बैठ कर छः महीने का हिसाब – किताब करते हैं। क्योंकि इन दिनों नई फ़सल घर आई होती है। इसका सम्बन्ध शीत ऋतु से भी है। अमीर – ग़रीब सब लोग तिल, चावल, रेवड़ियाँ आदि खाकर सर्दी मिटाते हैं और ऊँच – नीच का भेद – भाव मिट जाता है। इसका सम्बन्ध धर्म से भी है। इस दिन लोग हवन करके देवताओं को प्रसन्न करते हैं और जलती हुई आग की शिखा ऊपर उठने का संदेश देती है। इस प्रकार यह त्यहोर मनाया जाता है। इन्ही सब कारणों से यह त्योहार पंजाब में बड़े धूम धाम और हर्षो उलास के साथ मनाया जाता है।


FAQs

Qus: लोहरी का त्यहोर (Lohri Festival) हमें क्या सिखाता है?
Ans: लोहड़ी का त्योहार हमें एकता का सन्देश देता है।

Qus: लोहरी के त्योहार में मुख्य आकर्षण क्या होते है?
Ans:
लोहरी के त्योहार में मुख्य आकर्षण सर्दियों के भोजन जैसे सरसों का साग (सरसों दा साग), मक्के दी रोटी, तिल, रेवड़ी, गजक आदि होते हैं।

Qus: लोहरी को पहले किस नाम से जाना जाता था और क्यू?
Ans: लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल तथा रोडी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है।

Qus: लोहरी का त्योहार किस राज्य में मनाय जाता है?
Ans: यह पूरे उत्तर भारत विशेषकर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू में मनाया जाता है।

Qus: लोहरी का त्योहार क्यूँ मनाया जाता है?
Ans: लोहड़ी फसल की कटाई और बुआई के तौर पर मनाई जाती है। लोहड़ी को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इस दिन लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के रूप में हुआ था। बेशक होलिका का दहन हो गया था। किसान लोहड़ी के दिन को नए साल की आर्थिक शुरुआत के रूप में भी मनाते हैं।

Qus: लोहड़ी की आग में क्या डाला जाता है?
Ans: लोहड़ी के आग में गुड़, तिल, गजक, रेवड़ी, पॉपकॉर्न आदि डाला जाता है।

Qus: पंजाब का प्रमुख त्योहार क्या है?
Ans: लोहरी पंजाब का एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है।

Qus: लोहड़ी कब मनाया जाता है?
Ans: लोहड़ी मकर संक्रांति के एक दिन पहले 13 जनवरी को मनाया जाता है।

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