Ravan Quotes, Shayari in Hindi 2023
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Ravan Quotes in Hindi
त्रेता में एक रावण था
कलियुग में हर हम में रावण रहता है
वो रावण कर्मों से बुरा था
आज़ का रावण विचारों में पलता है।
Happy Dashhahara
हमारे संस्कार मर्यादा सब धूमिल हो रहे
बस पुतले वाला रावण हम फूंक रहे
मर गया सदियों पहले, जलने वाला
पर ज़िंदा रावण तो बहुत पड़े।
Happy vijaydashmi
बुरा था, अहंकारी था रावण
अरे तमाशा देखने वालों,
उससे बुरे तो हम है
उसने अन्याय किया, उसने पाप किए
उससे हम कौन से कम है।
हैप्पी दशहरा
वो रावण था
बहन के अपमान का बदला लिया
सीता को हर तो लाया
पर कभी अपमानित नहीं किया।
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
आज़ हर रोज़ सीता अपमानित हो रही
इन रावणों को कौन जलायेगा
सीता हरी ही नहीं जा रही,
प्रताड़ित की जा रही, मार दी जा रही
इन सीताओं को कौन बचाएगा.।
दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
रावण, जो हर दशहरे पर धूं-धूं कर जलता है
अहंकारी था, दुष्ट था, पापी था
पर हर दशहरे वो इन्तज़ार करता है
और इसी इन्तज़ार में जल कर राख हो जाता है।
दशहरा की शुभकामनाए
उसकी इच्छा है कि
उसका वध हो, उसे जला दिया जाये
पर बाण वही चलाये
जिसके सीने में वही मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम हो…
जो राम को आदर्श मानता हो,
मर्यादा का पालन करता हो
हर सीता का, हर स्त्री का सम्मान करता हो
वही उस पर बाण चलाए
अगर नहीं तो
वो ही रावण की जगह जल जाए।
Happy vijaydashmi
रावन बुरा था
तो हम भी कहां अच्छे है
झाँक के देखो अपने दिलों में
नेकी का चोंगा ओढ़ने वालों
हम भी कहां सच्चे है।
Happy Dashahara
वो रावण था, तीनों लोको का विजेता था
पर मंदोदरी को कभी अपमानित नहीं किया,
कहता है रावण, जलाओ मुझे,
जलाओ मुझे.. पर तभी जलाओ
जब तुमने किसी नारी पर कभी हिंसा नहीं किया।
Happy Dashahara
वो रावण था, महाज्ञानी था
अहंकारी था, बहुत पापी था
पर कभी सीता की पवित्रता को ठेस ना लगाया
कहता है वो, जला दो मुझे
जला दो मुझे.. पर आगे तभी बढ़ना..
अगर तुमने कभी किसी नारी का दिल ना दुखाया।
happy विजयदशमी
वो रावण था, बुराई का प्रतीक है
उसका वध होना चाहिए,
उसे हर साल जलाना चाहिए
पर उससे पहले हमें
अपने अंदर छुपी बुराईयों को भी मिटाना चाहिए।
Happy vijaydashmi
अच्छाई की शुरुआत हमसे होती है
बुराई का अंत भी हमीं से होना चाहिए…
अपने भीतर छुपे हैवान को जलाए
राम राज्य को वापस लाये।
विजयादशमी की ढेर सारी शुभकामनाएं
हर दशहरे रावण जलता है
बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनता है
ख़ुद की बुराईयों पे परदा डाले
रावण जलाने का ढोंग हर कोई करता है।
हैप्पी विजयदशमी
हर साल मरे हुए रावण को फिर से जलाने से अच्छा हैं कि अपने अंदर पनप रहे जिंदा रावण को जला दिया जाएं।
Happy विजयादशमी
Ravan Dahan Quotes in Hindi
क्या खूब था अवसर था दशहरा
माहौल बना था आंगन में,
शोर मचा था ज़ोर ज़ोर कि
आग लगा दो रावण में…
है बुराई का प्रतीक ये रावण
अच्छाई की जीत हो अब,
सांझ हो चली सुन लो सारों
मारोगे इसको तुम कब?
लिए मशालें जो उत्साह से
सब दौड़े रावण की ओर,
बोला रावण कुछ ऐसा कि
थम गया फिर सारा शोर…
स्तब्ध हुआ फिर जनसमूह
एक दुविधा ऐसी आई,
रावण ने जब सब लोगों को
मन की इच्छा बतलाई…
कहता मैं हूं मरने वाला
कर दो अंतिम इच्छा पूरी,
शीघ्र करो रह ना जाए
दहन प्रक्रिया कहीं अधूरी…
इस भीड़ में जो राम है कोई
वही आगे आ कर वध करे,
मांग लिया रावण ने कुछ यूं
सारे सोचें कि अब क्या करें?
बड़ा हो या फिर छोटा ही हो
करते सब बुरे काम जहां,
कलयुग है ये नवयुग है
लाएं कहां से राम यहां?
हंसता रावण देख नज़ारा
अब क्या करेंगे बेचारे?
वचन सत्य तो था यही कि
दिल से काले थे सारे …
सोच विचार के बाद सभी ने
रावण से किया निवेदन,
कोई और हो इच्छा तो बतलाओ
फिर ख़त्म करें हम चिंतन…
मुस्काते फिर बोला रावण
जलना तो है ही मुझको,
पर हूं प्रसन्न दिखला दिया
मैंने आज आईना तुमको…
हां… अनैतिकता है मुझ में
पर क्या नैतिकता है तुम में?
झांक लो अंदर पहले अपने
फिर आग लगाना मुझ में…
अब बतलाओ कोई “सदफ” को
आख़िर में कौन हो तुम?
रामभक्त होकर रावण के आगे
क्यूं आज मौन हो तुम?
Ravan Attitude Quotes in Hindi
लंकाधिपति राजाधिराज, महाज्ञानी, महाकाल के प्रिय भक्त, दसमुख ज्योतिष, महापराक्रमी, शास्त्रों में महारत हासिल करने वाले, देवता भी जिसका नाम सुनकर काँपने वाले, महाबलशाली महाराज दशानन रावण आज के दिन वीरगति को प्राप्त हुए।
रावण के बारे में आज तक बहुत कुछ बुरा सुना है
पर आज मैं सुनाता हूँ दादा रावण के बारे में।
मुझ जैसा (रावण) बनना भी कहां आसान,
मुझ में अहंकार था, तो पश्चाताप भी था,
मुझ में ‘वासना’ थी, तो ‘संयम’ भी था,
मुझ में सीता को अपहरण करने की ताकत थी
तो बिना सहमति ‘परस्त्री’ को स्पर्श न करने का संकल्प भी था,
सीता जीवित मिली ये ‘राम’ की ही ताकत थी,
पर ‘पवित्र’ मिली ये मेरी भी ‘मर्यादा’ थी।
मिटे जो मन का अंधकार,तो समझो उजाला हैं।
मरे जो मन का रावण, तो समझो जीवन मे उजाला हैं।
सिर्फ़ रावण के पुतले जलाने से क्या होगा,
जब अपने मन का रावण ही जिंदा होगा।
जब मरे अपने अंदर का रावण,
तभी तो हर जगह उजाला होगा।
जिस दिन सब को सम्मान की नज़रों से देखोगें,
सही मायने में उस दिन रावण का अंत होगा।
तभी तो विजय दशमी मनाओगे,जब ख़ुद के रावण को जलाओगे।
जला कर मार दिया उस रावण को,
जिसमें मर्यादा तो पूरी निभाई,
पर जब अपने मन के रावण की बारी आई,
तो हमको मर्यादा नजऱ नही आयीं।
क्यों नहीं मारते उस छुपे हुए,
अपने मन के रावण को,
जो नोंचे दूसरे की ज़मीर, औऱ आबरू।
सिर्फ़ पुतले जलाने से क्या होगा,
बस राख़ औऱ धुंधा ही होगा,
झाँक कर तो देख अपने गिरेबाँ में,
रावण तुझ से अच्छा ही होगा,