रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? | रक्षाबंधन की पौराणिक कहानियां 2024

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? | रक्षाबंधन की पौराणिक कहानियां 2024

क्या आपको पता है रक्षाबंधन पर्व क्यों मनाया जाता है? (Why Rakshabandhan is Celebrated?) और इसका क्या महत्व है? हमारा देश त्योहारों का देश है। हमारे देश में हर एक त्योहार किसी धर्म या वर्ग विशेष की संस्कृति का चित्र पेश करते हैं। सभी त्योहारों के पीछे कोई न कोई कारण और उसका अपना महत्त्व होता है। सभी त्योहारों के तरह रक्षाबंधन भी हिंदुओ का एक प्रमुख त्योहार है जो भाई बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। आज हम बात करेंगे की रक्षाबंधन क्यों और कब मनाया जाता है? इसके का क्या महत्त्व है और इसे कैसे मनाते है।

रक्षाबंधन क्या है? (What is Raksha Bandhan in Hindi?)

रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह को डोर में बांधता है।

त्यौहार भारत की संस्कृति के अभिन्न अंग हैं, जो हम सबके जीवन में उमंग और उत्साह का संचार करते हैं। यहां के सभी पर्व भारत की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाए रखने में सहायक है। सभी धर्मो के लोग सभी त्यौहार हर्षो उल्लास के साथ मनाते है। इन सब से हमारी संस्कृति में विविधताएँ होते हुए भी एकता के दर्शन होते हैं।

रक्षबंधन का त्यौहार सनातन धर्म में काफी हर्ष एवं उल्लाश के साथ मनाया जाता है। वही यह त्योहार भाई-बहन पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाधती है जो भाई बहन के रिश्तों को और मजबूत बनाता है।

रक्षाबंधन का अर्थ क्या है? (What is meaning of Rakshabandhan?)

रक्षाबंधन दो शब्दो से मिलकर बना हैं “रक्षा” और “बंधन“। रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। अर्थात एक ऐसा बंधन जो की रक्षा करने के लिए बाध्य करता हो उसे रक्षाबंधन कहते है। और रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा राखी कहलाता है।इस त्योहार में बहन अपने भाई की कलाई में विधि अनुसार राखी बांधती है और अपनी रक्षा का वचन मांगती है। यह राखी भाई को अपने बहन के प्रति जिमेदारियों का एहसास कराता है और याद दिलाता है की अपने बहन की हमेशा रक्षा करनी है।

रक्षाबंधन क्यों मनाते है? (Why Rakshabandhan is Celebrated?)

आप सब के मन में ये सब विचार जरूर आता होगा की रक्षबंधन क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कैसे हुई, क्या इसके पीछे कोई पौराणिक कारण है?

आइए जानते है की रक्षांबधन क्यों मनाया जाता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई का अपने बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है। इस मौके पर, एक बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है और भगवान से प्रार्थना करती है की उसका भाई हमेशा स्वस्थ और खुशहाल रहे। वही भाई भी इसके बदले बहन को कोई गिफ्ट देता है और प्रतिज्ञा करता है की कोई भी विपत्ति आ जाये वो अपने बहन की रक्षा हमेशा करेगा। इस पर्व को केवल सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो की इस पर्व की मर्यादा को समझता है आपस में मना सकता है। कई जगह पर पत्नी अपने पति को राखी बांधती हैं। पति अपनी पत्नी को रक्षा का वचन देता हैं। सही मायने में यह त्यौहार नारी के प्रति रक्षा की भावना को बढ़ाने के लिए बनाया गया हैं।

जिन लोगों की बहनें नहीं हैं वह रक्षाबंधन के दिन किसी को मुंहबोली बहन बनाकर राखी बंधवाएं तो शुभ माना जाता है। कई लोग इन दिनों चांदी जा सोने की राखी बनवाते है क्यूँकि चांदी एवं सोना शुद्ध धातु माना जाता है । लेकिन सोने ओर चाँदी की राखी पर रेशम का धागा लपेट लेना चाहिए। शायद अब आप समझ गए होगे की रक्षाबंधन क्यू मनाया जाता है।

रक्षाबंधन मनाने की पौराणिक कथाएं और कारण क्या है? (What is the mythology and reason for celebrating Rakshabandhan?)

रक्षाबंधन मनाने की बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। आईए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ कथाओं के बारे में।

माता लक्ष्मी और राजा बलि की कथा:

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन पर्व मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई राजा बलि को राखी बांधी थी।

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा बलि ने जब अश्वमेध यज्ञ करवाया उस समय भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर राजा बलि के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन पग के बराबर भूमि दान में मांगा। दान बीर राजा बलि तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया। राजा बली के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने अपने आकार बढ़ा लिया और पहले ही कदम में पूरा भूलोक (पृथ्वी) नाप लिया, दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया और तीसरे कदम के लिए कोई भूमि नहीं बची तो राजा बलि ने अपना सिर झुका ​कर कहा कि तीसरा कदम प्रभु यहां रखें। तीसरा कदम बलि के सिर पर रखते ही बलि पाताल लोक में पहुंच गए।

राजा बलि की दानबीरता और वचनबद्धता से अति प्रसन्न होकर भगवान बिष्णु में वर मागने के लिए कहा। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे।

राजा बलि के साथ भगवान बिष्णु के रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई। तब नारद जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया। नारद जी ने कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और भगवान विष्णु को मांग लिजिए।

नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं। जब राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं। तब राजा बलि देवी लक्ष्मी की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं। तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी और उपहार के रूप में भगवान विष्णु को मांग लिया। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है।

भगवान कृष्ण और महारानी द्रौपदी की कथा:

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब श्रीकृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया उस समय श्री कृष्ण जी की तर्जनी उंगली कट गई थी। अंगुली कटने पर श्रीकृष्ण का रक्त बहने लगा तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर श्रीकृष्ण की अंगुली पर पट्टी बांधी दी। इसके बदले में कृष्ण जी ने चीर हरण के समय द्रोपदी की रक्षा की थी। जिस दिन महारानी द्रौपदी ने पट्टी बांधी थी उस दिन श्रावण पूर्णिमा था तभी से इस दिन बहने अपनी भाई के कलाई पर राखी बांधती है और भाई पूरी जिंदगी बहन की रक्षा करने का सपथ लेता है।

Rakshabandhan festival

रक्षाबंधन का महत्व (Importance of Rakshabandhan)

इन सभी पौराणिक कथाओं से यह पता चलता है कि रक्षाबंधन के दिन कलाई पर राखी बांधने के साथ ही उसके बदले में मांगे और दिये जाने वाले वचन का बहुत महत्व होता है। इसलिए इस दिन हर बहन अपने भाई को राखी बांधती हैं और भाई पुरी जिंदगी उसकी हिफाजत का करने का वचन देता है। बहन अपने भाई की सफलता की कामना करती है। यही वचन और भावना ही रक्षाबंधन के त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण भाग है।

रक्षाबंधन कैसे मनाते है? (How to Celebrate Rakshabandhan?)

रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और विश्वास का एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन सुबह भाई-बहन स्नान करके भगवान की पूजा करते हैं। बहनें दीया, रोली, चावल, राखी के धागे और मिठाइयों से पूजा की थाली तैयार करती हैं। बहन जब तक अपने भाई को राखी न बाध ले तब तक brat रहती है और अपने भाई के खुशियों के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी बांधने के शुभ मुहूर्त पर अपने भाई को टीका करती है फिर भाई के कलाई पर राखी बांधती है और मीठाई से भाई का मुंह मीठा कराती है। बदले में भाई भी जिंदगी भर अपने बहन की रक्षा करने का वचन देता और उपहार देता है। इस दिन हर तरफ खुशनुमा माहौल रहता हैं। और इस तरह हम सब रक्षाबंधन का त्योहर मानते है।

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FAQs

रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है?

रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह को डोर में बांधता है।

रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाते हैं?

इस दिन बहन अपने भाई की कलाई में विधि अनुसार राखी बांधती है और अपनी रक्षा का वचन मांगती है।

रक्षाबंधन का इतिहास कितने साल पुराना है?

इसके पीछे कई कहानियाँ है, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि यह किस साल से शुरू हुआ था। कहा यह भी जाता है की सबसे पहले माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बाधी थी तभी से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।

रक्षाबंधन का मतलब क्या है?

रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। अर्थात एक ऐसा बंधन जो की रक्षा करने के लिए बाध्य करता हो उसे रक्षाबंधन कहते है।

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